Thursday, April 9, 2015

प्रश्‍न और उत्तर


काशी के एक संत के पास एक छात्र आया और बोला, ’गुरुदेव, आप प्रवचन करते समय कहते हैं कि कटु से कटु वचन बोलने वाले के अंदर भी नरम दिल होता है लेकिन इसका कोई उदाहरण आज तक नहीं मिला।’ प्रश्‍न सुन कर संत गंभीर हो गए। बोले, ’वत्स, इसका जवाब मैं कुछ समय बाद दे पाऊंगा।’ एक महीना बाद छात्र संत के पास पहुंचा। उस समय संत प्रवचन कर रहे थे। प्रवचन समाप्त होने के बाद संत ने गरी का एक सख्त गोला छात्र को दिया और बोले, ’वत्स, इसे तोड़ कर इसकी गरी निकाल कर सभी भक्तों में बांट दो।’ छात्र गोला लेकर उसे तोड़ने लगा।

गोला बहुत सख्त था। बहुत कोशिश करने के बाद भी नहीं टूटा। छात्र ने कहा, ’गुरुदेव यह बहुत कड़ा है। कोई औजार हो तो उससे इसे तोड़ दूं।’ संत बोले, ’औजार लेकर क्या करेगा? कोशिश करो, टूट जाएगा।’ वह फिर तोड़ने लगा। इस बार गोला टूट गया। उसने उसमें से गरी निकाल कर भक्तों को बांट दिया और एक कोने में बैठ गया। एक-एक कर सभी भक्त चले गए। संत भी उठ कर जाने लगे तो छात्र बोला, ’गुरुदेव, अभी तक हमारे प्रश्‍न का उत्तर नहीं मिला कि कठोर आदमी के अंदर नरम दिल कहां होता है।’ संत मुस्करा कर बोले, ’वत्स तुम्हें तुम्हारे प्रश्‍न का उत्तर मिल चुका है लेकिन तुमने उसे समझा नहीं।’ छात्र ने कहा, ’मैं कुछ समझा नहीं गुरुदेव।’ संत ने कहा, ’वत्स, जिस प्रकार कड़े गोले में नरम गरी भरी होती है उसी प्रकार कठोर से कठोर व्यक्ति में भी कहीं न कहीं नरम दिल होता है लेकिन उसे किसी औजार से बाहर नहीं निकाला जा सकता। वह तो बार-बार के प्रयास से ही दिखाई देगा। यदि कोई कटु वचन बोलता है तो उसे भगवान का प्रसाद मान कर ग्रहण करने और उसके प्रति मृदु व्यवहार करने से ही किसी का स्वभाव बदला जा सकता है।’

No comments:

Post a Comment