एक गांव में दो स्त्रियां रहती थीं जो दूध बेचकर जीवन निर्वाह करती थीं। दोनों पड़ोसिनें थीं। एक के पास पांच गायें थीं और दूसरी के पास केवल एक। एक बार पांच गायों वाली स्त्री एक गाय वाली पड़ोसिन के पास गई और उससे कुछ रुपये उधार मांगे। एक गाय वाली स्त्री ने रुपये दे दिए। एक वर्ष बीत गया। उधार देने वाली स्त्री अपनी पड़ोसिन के पास पहुंची और उससे अपनी रकम लौटाने को कहा। किंतु कर्ज लेने वाली स्त्री ने कहा कि उसने तो उधार लिया ही नहीं है। मामला अदालत में पहुंचा। कर्ज लेने वाली स्त्री ने न्यायाधीश से कहा, ’महोदय, मेरे पास पांच गायें हैं जो मेरे जीवन निर्वाह के लिए पर्याप्त हैं। इस स्त्री के पास केवल एक गाय है। मुझे इससे कर्ज लेने की क्या आवश्यकता?’ न्यायाधीश ने उन दोनों को दूसरे दिन न्यायालय में बुलाया। न्यायालय के बाहर एक ओर पांच लोटों में तथा दूसरी ओर एक लोटे में पानी भरवाकर रखवा दिया। उन स्त्रियों को पैर धोकर अंदर आने के लिए कहा गया। पांच गायों वाली स्त्री ने एक के बाद एक पांचों लोटों का पानी अपने पैरों पर डालकर सारा पानी फैलाकर प्रवेश किया, जबकि एक गाय वाली स्त्री ने एक लोटा में से पानी लेकर बड़ी सावधानी पूर्वक अपने पैर साफ किये और थोड़ा पानी बचा भी लिया। उन दोनों स्त्रियों के बर्ताव को न्यायाधीश बड़े ध्यान से देखते रहे और उसके आधार पर उन्होंने यह जान लिया कि वाकई पांच गायों वाली स्त्री ने कर्ज लिया है। वे इस निर्णय पर पहुंचे कि पांच लोटा पानी फटा-फट फैला देने वाली बहुत खर्चीले स्वभाव की है, इसलिए उसे कर्ज लेने की आवश्यकता पड़ी जबकि एक लोटा में से थोड़ा पानी लेकर अपना काम चला, थोड़ा पानी बचा लेने वाली स्त्री कम खर्चीली मितव्ययी स्वभाव वाली है इसलिए वह उधार दे सकती है। उनके स्वभाव की पहचान कर न्यायाधीश ने फैसला सुना दिया।
No comments:
Post a Comment